शरारत और मस्ती में बिताने के दिन थे,
ख्वाबों के उलझन में फसने के दिन थे।
दिल खुशी के कारण चमकता था,
चेहरे पर मुस्कराहट सा रहता था।
एक दिन मन में शंका जाग उठी,
आखिर दोस्ती के रिश्तों की हैसियत क्या?
दिन में कितनी बातचीत करते हैं,
या फिर कितना बाहर घूमते हैं ?
कितनी मस्तियां की हैं,
या फिर कितने यादें बनाई हैं ?
आखिर इन सब का क्या फ़ायदा,
क्योंकि दोस्ती की होती है एक मर्यादा।
ना वह दिखाया जाता है,
ना वह समझाया जाता है,
वह तो सिर्फ निभाया जाता है।
दोस्ती की सच्चाई, बुरा वक्त समझाता हैं,
हैसियत साफ़ दिखलाता हैं।
आज कल की दुनिया ही है, कुछ अजीब,
मिलते तो बहुत है मगर,
साथ चलते है कम।
कहने को तो है हम दोस्त,
काम के नहीं, तो नाम के ही सही।
आखिर कुछ दिनों तक ही साथ निभाना है,
मुश्किल घड़ी में अंजान सा हो जाना है।
इसलिए बड़े सयाने कह गए हैं
" एक-दो के साथ ही सही, दोस्ती जान से बढ़कर निभाना चाहिए "!
© The Brain Buzzer
Lit ♥️
ReplyDeleteThank You So Much 😍💯
DeleteNice,dosti hi jindagani he
ReplyDeleteThank You So Much 😍💯
DeleteBhai 🔥
ReplyDeleteThank You So Much 😍💯
DeleteMast bhai 🔥
ReplyDeleteThank You So Much 😍💯
DeleteMasti
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